सीमा दास_कविता_'कोई'
"कोई...!"
अज्ञात निशा कीकाली चांदनी रात में
सुगम विचार कर रहा है कोई...!
उसकी गर्जना
नभ और अम्बर के बीच
एक सुनिश्चित वाणी देकर
उसकी निष्ठुर अभिलाषाओं को
अपने सीने से लगाकर
उद्गम भर रहा है कोई...!
नश्वर संसार में,
अनगिनत....
सुनहरे सपने दिखाकर
हर दिन
अपने चक्रव्यूह के आगे
किसी का सीना
छल्ली कर रहा है कोई...!
लेखिका
सीमा दास
सम्पर्क -7510211834
इमेल-seema9903617475@gmail.com
इमेल- seemadas.hindi@gmail.com
सुनहरा
ReplyDeleteशुक्रिया🙏
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