प्रवास में_लेखिका_सीमा दास_अनुभूति एवं_अभिव्यक्ति : यात्रा_विश्व पुस्तक मेला_नई दिल्ली, 2020
अनुभूति एवं अभिव्यक्ति : यात्रा ,विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली, 2020
पहली बार विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली, भारत में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ जो कि एशिया के सबसे बड़ा पुस्तक मेला है l एंट्री के लिए शुल्क रहित टिकट प्रतिदिन के आधार पर की व्यवस्था थी l
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पुस्तक प्रेमियों की तादात |
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विजिटर पास |
टिकट लेने के तुरंत बाद ही एंट्री गेट पर चेकिंग की भीड़ में पुस्तक प्रेमियों की लंबी कतार में प्रवेश करने की आतुरता सभी के चेहरे पर झलक रही थी, उसी में से मैं भी थी मेरी भी बारी आई, चेकिंग की प्रक्रिया सम्पन्न होते ही प्रवेश द्वार से भीतर जाने की और इशारा हुआ l आगे चलकर बड़े-बड़े पोस्टर में विश्व हिंदी पुस्तक मेला 4 जनवरी-12 जनवरी, 2020 की बड़े अक्षरों में लिखी गयी पोस्टर के आगे कोई सल्फिया लेने से परेशान तो कोई पोज देने में परेशान दिख रहे थे l वहीँ मैं भी थी जिसकी उत्सुकता का कोई ठिकाना न रहा l
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सुखद अनुभूति परक तस्वीर |
इसी के साथ पुस्तक मेला प्रगति मैदान के भीतर की ओर जाना हुआ, जहाँ अंग्रेजी एवं हिंदी के सभी छोटे-बड़े महत्त्वपूर्ण प्रकाशन वहां मौजूद थे l नए-नए विषयों, पर नई-नई पुस्तकें मेले में आई थी, कुछ नई पुस्तकों का विमोचन वहीं नए अथवा समकालीन लेखकों के द्वारा हुआ था l
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राकेश शंकर भारती सर के साथ |
मैंने भी पुस्तकें एक के बाद एक खरीदना शुरू कर दिया l ऐसा लग रहा था मानो यह भी ले लूँ , वह भी पुस्तक ले लूँ , समझ में न आ रहा था कि किसे छोड़ दूँ l हरियाणा शोध अकादमी की स्टाल से शुरू हुआ पुस्तक लेने का शिलशिला l
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संपादक महोदय के साथ |
हिंदी पुस्तकों के हॉल संख्या-संतावन में वाणी प्रकाशन के ठीक उसके विपरीत राजकमल प्रकाशन वाले हॉल थे, वहीं कुछ पुस्तकों का लेना भी हुआ उसकी दौरान अचानक एक व्यक्ति सामाने से आकर माईक लगा कर सवाल करते हुए मुझसे प्रश्न भी किए जो कि दिल्ली अमन न्यूज़ वाले थे उनके द्वारा कुछ देर लाईव बातचीत हुई l
आगे चलकर किताबघर प्रकाशन, समायिक प्रकाशन, राज पल एंड सन्स, पक्षिम बंगाल उर्दू साहित्य अकादमी, प्रकाशन संस्थान, महात्मा गाँधी वर्धा की हॉल में भी जाना हुआ इसके अतिरिक्त बड़े-बड़े प्रकाशनों पर काफ़ी भीड़ दिखी और अंग्रेजी पुस्तकों के हॉल में पेंग्विन प्रकाशन, ऑक्सफ़ोर्ड प्रकाशन,आदि पर काफ़ी भीड़ दिखी, जब मैं अन्तरराष्ट्रीय पुस्तकों, पर्यावरण, बाल-शिक्षण की आधुनिक तकनीकों, पुस्तकों के हॉल में जाकर काफी प्रभावित हुई l वहां से बच्चों की चकमक और टू एंड जू तथा चूहा-बिल्ली इत्यादि छोटी-छोटी कविताओं एवं कहानियों की पुस्तकें भी लेना हुआ l
यह सभी देखकर मैंने पाया कि शिक्षण का कितना आधुनिकीकरण हो गया है l यहाँ तक कि हिंदी पुस्तकों के मूल्य की तुलना में अंग्रेजी के पुस्तकों का मूल्यों में काफी अंतर देखा गया l आगे चलकर अंग्रेजी के ASINET पब्लिकेशन के हॉल पर जाना हुआ, वहां मेरी नज़र हिंदी में लिखित पुस्तक पर गई जिसे देखकर मैं आश्चर्यचकित थी जो कि मेरे शोध विषय से सम्बन्धित पुस्तक एवं पत्रिका थी जो वहीँ से प्रकशित होती है l ASINET प्रकाशन के सम्पादक एवं मेनेजर से बातचीत हुई I
यह सभी देखकर मैंने पाया कि शिक्षण का कितना आधुनिकीकरण हो गया है l यहाँ तक कि हिंदी पुस्तकों के मूल्य की तुलना में अंग्रेजी के पुस्तकों का मूल्यों में काफी अंतर देखा गया l आगे चलकर अंग्रेजी के ASINET पब्लिकेशन के हॉल पर जाना हुआ, वहां मेरी नज़र हिंदी में लिखित पुस्तक पर गई जिसे देखकर मैं आश्चर्यचकित थी जो कि मेरे शोध विषय से सम्बन्धित पुस्तक एवं पत्रिका थी जो वहीँ से प्रकशित होती है l ASINET प्रकाशन के सम्पादक एवं मेनेजर से बातचीत हुई I
सभी स्टाल पर भारतीय एवं प्रवासी साहित्यकारों के पुस्तकों का विमोचन किया जा रहा था जिसकी झांकी इस प्रकार से हैं-
पुस्तक मेले में भारत एवं भारत के बाहर विश्व के विविध देशों से एवं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए शोधार्थियों, और लेखकों से भेंट हुई, जिनसे मिलकर काफी अच्छा लगा l
पुस्तक विमोचन करते हुए भारतीय रचनाकार, महेंद्र भीष्म, पायल सिंह, अब्दुल विस्म्मिलाह खान आदि एवं प्रवासी साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा, जाकिया जुबैरी, शरत आलोक, पुष्पिता अवस्थी, राकेश शंकर भारती आदि से हुई भेटवार्ता की अविस्मरणीय तस्वीरें-
पुस्तकों के विमोचन का कार्य प्रत्यक्ष देखने के साथ ही साथ वहां आए साहित्यकारों से भी मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त हो सका l
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नार्वे से ए हुए शर्त आलोक जी तथा केन्द्रीय हिंदी सचिवालय से दीपक पाण्डेय जी तथा अन्य विद्वान एवं शोधार्थीगण
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अन्य सभी विश्वविद्यालयों से आए हुए विद्वानों

मैंने वहां संस्कृत भाषा का, जैन धर्म का, कुरान के माध्यम से मुस्लिम धर्म का, बाइबिल के माध्यम से ईसाई धर्म का प्रचार होते देखा l मैंने कभी इतनी भारी संख्या में लोग मंदिरों, मस्जिदों में नहीं देखे, जितनी संख्या में लोग विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में दिखाई दिए।
मैंने बच्चों, वयस्कों, और बुजुर्गों में पुस्तकों की तरफ बढ़ती उत्सुकता को देखा, मैंने उलझे हुए लोगों को कुछ हद तक सुलझते देखा। मैंने कभी स्वयं को पुस्तकें खरीदने के लिए इतनी उत्सुक नहीं पाई, जितना विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में और मैं पुस्तकें खरीदने से खुद को रोक न सकी l कुछ आलोचना, उपन्यास, मैं भी ले आई l मुझे दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में जाकर बहुत आनंदमयी अनुभूति हुई l
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पुस्तकें देखते हुए |
भविष्य में भी मैं विश्व पुस्तक मेला देखने जाती रहूंगी l 2020 की यह विश्व पुस्तक मेला और अविस्मरणीय पल थे l मैं सभी से गुजारिश करना चाहूंगी कि आप सभी एक बार विश्व पुस्तक मेला में जरुर जायें l
लेखिका
संपर्क-7510211834
इमेल-seema9903617475@gmail.com
Seemadas.hindi@gmail.com
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