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"तुम किसी काम की नहीं"

"तुम किसी काम की नहीं" हर दिन की किचकिच तुम किसी भी काम की नहीं ll तुम्हें न आता चाय बनाना न आती चाय पत्ती घेरणा ll आती नहीं रोटी देना न आता घी लगाना ll एक दिन में  पूरी डोली खाली कर देवेगी ll थाली उपर से है पूरी खाली ll तुम्हारे वहाँ रोटी देते नहीं...  ऐसे देते हैं रोटी खाली- खाली सुनकर बात धरम की माँ की मानी बात छोटी बहु की सुमि ने पूछा था जब छोटी से बतलाया परोस घी रोटी से ll बाद में दे देना  दही और छाछ सभी को ll पूछा जब धरम की माँ ने छोटी को,  साफ कह गई....  चौपड़ कर खुद ले गई तो मैं क्या करूँ!  टुक- टुक निहारती मुख सुमि सभी की ll बारम्बार सुनती  तुम नहीं काम किसी की ll सुखने की खातिर रख दिया बाहर धूप में तोसक और तकिया को ll फिर, सुनना पड़ा सुमि को मेरा काम बढ़ा दिया करती हो दुबारा हमें करना पड़ता है ll सोचने लगी सुमि कमरे में आकर बोल उठी थी बिस्तर महक रहा है कभी धूप न देती हो बेडशीट न धुलती हो और जब दिया धूप में तब क्यों सुनना पड़ रहा है सुमि को ll आकर बैठी सीढ़ियों पर  चिंतन मनन करने लगी ऐसी क्या बात है सुमि में कुछ करो तो समस्या  और न क...

सीमा दास_कविता_"बावरा"

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"बावरा"  उमड़ती पावस की तप में तपती संस्तुति का निर्माण किया जड़ से अमृत का प्याला घोलकर बना डाला.... बावरा, आवारा, मस्त मौला 'पागल'..! क्या ? तूने उसकी कोई सुध ली अवतर परत-दर-परत खींचकर लकीरें बना दिया पात्र अट्टहास का ...! भरी बाज़ार में सरेआम उस... बीच चौराहे पर तार-तार कर दिया अपनी चाहत की खातिर उसके लावण्य स्वरूप को ..! लेखिका सीमा दास  सम्पर्क-7510211834 इमेल पता- seem9903617475@gmail.com अन्य मेल पता- seemadas.hindi@gmail.com

सीमा दास_कविता_'कोई'

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"कोई...!" अज्ञात निशा की काली चांदनी रात में सुगम विचार कर रहा है कोई...! उसकी गर्जना नभ और अम्बर के बीच एक सुनिश्चित वाणी देकर उसकी निष्ठुर अभिलाषाओं को अपने सीने से लगाकर उद्गम भर रहा है कोई...! नश्वर संसार में, अनगिनत.... सुनहरे सपने दिखाकर हर दिन अपने चक्रव्यूह के आगे किसी का सीना छल्ली कर रहा है कोई...! लेखिका सीमा दास सम्पर्क -7510211834 इमेल-seema9903617475@gmail.com इमेल- seemadas.hindi@gmail.com

प्रवास में_लेखिका_सीमा दास_अनुभूति एवं_अभिव्यक्ति : यात्रा_विश्व पुस्तक मेला_नई दिल्ली, 2020

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अनुभूति एवं अभिव्यक्ति : यात्रा , विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली, 2020 पहली बार विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली, भारत में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ जो कि एशिया के सबसे बड़ा पुस्तक मेला है l एंट्री के लिए शुल्क रहित टिकट प्रतिदिन के आधार पर की व्यवस्था थी l पुस्तक प्रेमियों की तादात      विजिटर पास  टिकट लेने के तुरंत बाद ही एंट्री गेट पर चेकिंग की भीड़ में पुस्तक प्रेमियों की लंबी कतार में प्रवेश करने की आतुरता सभी के चेहरे पर झलक रही थी, उसी में से मैं भी थी मेरी भी बारी आई, चेकिंग की प्रक्रिया सम्पन्न होते ही प्रवेश द्वार से भीतर जाने की और इशारा हुआ l आगे चलकर बड़े-बड़े पोस्टर में विश्व हिंदी पुस्तक मेला 4 जनवरी-12 जनवरी, 2020 की बड़े अक्षरों में लिखी गयी पोस्टर के आगे कोई सल्फिया लेने से परेशान तो कोई पोज देने में परेशान दिख रहे थे l वहीँ मैं भी थी जिसकी उत्सुकता का कोई ठिकाना न रहा l  सुखद अनुभूति परक तस्वीर  इसी के साथ पुस्तक मेला प्रगति मैदान के भीतर की ओर जाना हुआ, जहाँ अंग्रेजी एवं हिंदी के सभी छोटे-बड़े महत्त्वपूर्ण प्रकाशन वह...

साहित्य में चित्रित वृद्धों के प्रवासी जीवन की त्रासदी - सीमा दास

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साहित्य में चित्रित वृद्धों के प्रवासी जीवन की त्रासदी  सीमा दास  संपर्क-7510211834 इमेल-seema9903617475@gmail.com व्यक्ति से परिवार और परिवार से समाज बनता है और इस परिवार को संरचनात्मक रूप प्रदान करने वाला व्यक्ति घर के बड़े बुजुर्ग ही हुआ करते हैं जिससे परिवार की उत्पत्ति हुई है | परिवार के बिना समाज की निरंतरता संभव नहीं है | वास्तव में परिवार का आधार  सुनिश्चित यौन संबंध है जो कि संतान उत्पन्न करनें से लेकर उनके पालन-पोषण तक अवस्थित रहता है | डॉ. सुखविंदर बाढ के अनुसार- “व्यक्ति सदैव ही परिवार का सदस्य रहता है और अनेक परिवारों के समूह से समाज बनता है | परिवार के लिए सबसे अति आवश्यक मूल बात है- पति-पत्नी द्वारा संतान की उत्पत्ति |”1 परन्तु वर्तमान समय में विद्माबना यह है कि जिस नींव की वजह से परिवार की संकल्पना की जाती है उसी से आज का युवा वर्ग हेय यानी नफ़रत करने लगा है | उनसे बात करने से कतराते हैं | यहाँ तक कि उन्हें अपना बोझ समझ कर या तो अपने से हमेसा के लिए अलग कर देते हैं या स्वयं ही बेगाना बनाकर अकेला छोड़कर निकल पड़ते हैं | जिसके परिणामस्व...

गिरमिटिया देशों में हिंदी साहित्य की दशा एवं दिशा और अभिमन्यु अनत का योगदान - सीमा दास

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गिरमिटिया देशों में हिंदी साहित्य की दशा एवं दिशा  और  अभिमन्यु अनत का योगदान                                                                                               सीमा दास दूरभाष संख्या-7510211834 ईमेल पता-seema.hindi@gmail.com  १९वीं शताब्दी के पुवार्द्ध में भारत से अधिकांश मजदूरों को मजदूरी करने के लिए मॉरिशस लाया गया | उनमें ज्यादातर गरीब परिवार के लोग थे | गौरतलब बात यह है कि अनुबंध पर जाने वाले अनपढ़ लोग अपने को गिरमिटिया कहने लगे | इन गरीब मजदूरों के बीच उनकी लोक-संस्कृति रची-बसी थी, जिसका स्पष्ट स्वरूप को इस प्रकार जाना जा सकता है- जब वे धान काटते, रोपाई करते, दाना निकाल कर दौनी करते हुए इत्यादि | अर्थात् उन गरीब भारतीय मज़दूरों की लोक भाषा भोजपुरी हुआ करती, जबकि पढ़े-लिखे लोग बोलचाल की भाषा के रूप में खड़ीबोली ...