सीमा दास_कविता_"बावरा"

"बावरा" उमड़ती पावस की तप में तपती संस्तुति का निर्माण किया जड़ से अमृत का प्याला घोलकर बना डाला.... बावरा, आवारा, मस्त मौला 'पागल'..! क्या ? तूने उसकी कोई सुध ली अवतर परत-दर-परत खींचकर लकीरें बना दिया पात्र अट्टहास का ...! भरी बाज़ार में सरेआम उस... बीच चौराहे पर तार-तार कर दिया अपनी चाहत की खातिर उसके लावण्य स्वरूप को ..! लेखिका सीमा दास सम्पर्क-7510211834 इमेल पता- seem9903617475@gmail.com अन्य मेल पता- seemadas.hindi@gmail.com